नववर्ष मनाते हुए बुराईयों को छोड़ना चाहिए

     हम सब नववर्ष मना रहे हैं। बहुत अच्छी बात है। आत्म-कल्याण , समाज-कल्याण, राष्ट्र-कल्याण के लिए भी कुछ योगदान देने की आवश्यकता है। नववर्ष मनाते हुए हम आत्म-कल्याण, समाज-कल्याण, राष्ट्र-कल्याण के लिए भी आसानी से योगदान दे सकते हैं। जड़-चेतन गुण-दोषमय ये बताता है कि हर किसी में अच्छाई और बुराई दोनों है। आत्म-कल्याण, समाज-कल्याण, राष्ट्र-कल्याण के लिए ये आवश्यक है कि अच्छाई की मात्रा बढ़े और बुराई की मात्रा घटे। 
     हमारे मन में ये प्रश्न आ सकता है कि हमारी अच्छाई-बुराई से हमारा आत्मकल्याण अवश्य जुड़ा है; किन्तु समाज और राष्ट्र का कल्याण कैसे जुड़ा हो सकता है ? लेकिन यही सत्य है कि हमारी अच्छाई-बुराई से समाज और राष्ट्र कल्याण भी जुड़ा हुआ है, क्योंकि हम लोग ही तो समाज-राष्ट्र की संपत्ति हैं। यदि हम बुड़े होंगे तो मात्र हमारा आत्मकल्याण ही प्रभावित नहीं होगा समाज और राष्ट्र कल्याण भी प्रभावित होगा ही होगा। उसी समाज-राष्ट्र का हिस्सा हमारे परिवार के सदस्य भी हैं, ये हो सकता है कि हमारी बुराई का प्रत्यक्ष प्रभाव उन पर हम न पड़ने दें; किन्तु पूरे समाज-राष्ट्र पर प्रभाव पड़ेगा ही और पुनः अप्रत्यक्ष रूप से ही सही हमारे परिवार पर भी प्रभाव पड़ेगा ही पड़ेगा।
     अतः ये अत्यावश्यक है कि चाहे किसी के भी हित के बारे में सोचें तो अपनी बुराई हमें छोड़नी ही चाहिए।
      यदि आप ये लेख पढ़ रहे हैं तो आपसे मेरी करबद्ध प्रार्थना है कि आप भी स्वेच्छा से अपनी बुराई को छोड़े।